12th Fail क्यों स्टूडेंट्स को OTT पर देखनी चाहिए, जानिए IPS का असली स्ट्रगल

12th Fail : अभी हाल ही में 12 वीं फ़ैल मूवी ओटीटी पर रिलीज़ हुई है और अगर आप स्टूडेंट है तो इस से मोटिवेटिंग मूवी आपको शायद ही कोई मिले। 

यह मूवी एक रियल लाइफ स्टोरी पर बेस्ड है जो मनोज शर्मा के जीवन पर बनी है। इस मूवी में दिखाया गया है कि कैसे एक 12 वीं में फैल हुआ विद्यार्थी आगे चल के अपनी मेहनत के दम पर IPS अफसर बनता है। 

इस मूवी में मनोज़ शर्मा का किरदार विक्रांत मेस्सी (Vikrant Massey) ने निभाया है और सच में जिस तरह से उन्होंने ने इस किरदार में अपनी जान डाल दी है। 

फिल्म की स्टार्टिंग कुछ इस तरह होती है कि इनका परिवार चंबल से होता है जो बहुत गरीब होता है , इनके पिता जी को ससपेंड किआ जाता है तो घर का खर्च चलेगा कैसे यही दुविधा होती है ,

इस पर उनका यह सोचना होता है कि बस 12 वी पास हो जाये तो चपरासी की नौकरी पकी।  वे एग्जाम हाल में फर्रे भी बना के ले जाते हैं और टीचर बोरड़ पर बच्चों को पास करवाने हेतु मैथ्स के जवाब लिखने लगते हैं और उतने में नया चम्बल का DSP आ जाता है इंस्पेक्शन पर और उस साल नकल होती नहीं और मनोज फ़ैल हो जाते हैं। 

अब घर चलाने के लिए वे एक जुगाड़ से बनाई गाड़ी के कंडक्टर बनते हैं पर उस एरिया में विधायक की बस चलती थी तो उसकी सवारी कम होगी तो उसने उन्हें और उनके भाई को झूठे केस में जेल में डलवा दिया। 

मनोज किसी तरह बाहर निकल कर उसी DSP के घर पहुंच जाते हैं और किसी तरह उन्हें जेल ले आते हैं फिर वे उन्हें जेल से रिहा करवाके घर तक लिफ्ट देते हैं। मनोज ने जब DSP की पावर उस रात देखी तो जब वे घर पहुंचते हैं तो उसी DSP से पूछते हैं की हम आपकी तरह कैसे बन सकते हैं तो इसपर DSP का जवाब होता है -“चीटिंग छोड़नी होगी “

यहीं से असल में मूवी शुरू होती है। 

अगली साल DSP का ट्रांसफर हो जाता है और चंबल में सिर्फ मनोज़ को छोड़ कर सब चीटिंग करते हैं और मनोज अपनी मेहनत से पहले 12 वी फिर BA पास कर लेते हैं। 

चंबल से ग्वालियर और फिर दिल्ली

इसके बाद उनकी दादी ने कुछ पेंशन के पैसे बचाये थे तो वे लेकर वे पहुंच जाते हैं ग्वालियर और वहां पहुंचते ही उनका सामान चोरी हो जाता है। 

अब न रहने के पैसे न खाने के , बड़ी मुश्किल से एक ढाबे के मालिक को कहते हैं खाना खिला दीजिये में कुछ भी काम करूंगा वे दया खाकर उन्हें खाना देते हैं वही पर एक लड़का दिल्ली जा रहा होता है ,

upsc की तयारी करने, उससे उन्हें पता चलता है की DSP से भी बड़ा अफसर IPS होता है और मनोज़ उनसे बहुत मिन्नतें करता है मुझे भी दिल्ली ले चलिए और वह इंसान उन्हें दिल्ली ट्रैन में ले आता है। 

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IPS बनने का सफर

UPSC का हब है मुखर्जी नगर वे वहां आते हैं तो वहाँ इतने स्टूडेंट्स देख डर जाते हैं कि आखिर कैसे होगा ?

फिर उन्होंने गोरी भइया जो खुद तयारी कर रहे थे बताते हैं कि यह एक सांप सीडी की खेल की तरह है कुछ कुछ ही ऊपर पहुंच पाते हैं , फिर वे उनकी गाइडेंस में हिंदी मध्यम में तयारी करते हैं और फर्स्ट एटेम्पट में फ़ैल हो जाते हैं। 

इस दौरान वे लाइब्रेरी में झाड़ू पोछा सब करते हैं खुद को सपोर्ट करने के लिए। 

इसके बाद बारी आती है 2ND एटेम्पट की और उनका पहला एग्जाम (upsc prelims) क्लियर हो जाता है जो होता है.

इसके बाद उनकी मुलाकात होती है श्रद्धा से जो उनकी इस समय रियल लाइफ में पत्नी है। 

इसके बाद वे तयारी करते हैं और उनका सफर आसान नहीं होता है , अपने लास्ट एटेम्पट में वे IPS क्लियर करते हैं।  उनकी स्टोरी बहुत ही इन्सपिरिंग है अगर आप स्टूडेंट हैं तो आपको यह मूवी जरूर देखनी चाहिए। 

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